Story of an employee

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जन्नत अपनी फैमिली से बहुत प्यार करती है उनका कहना है वो अपने लाइफ में सबसे ज्यादा अपने माता पिता से inspire है। जन्नत के पिता का नाम जुबैर रहमानी और माता का नाम नाजनीन रहमानी है। जन्नत के परिवार में उनका एक छोटा भाई भी है, जिसका नाम अयान जुबैर है, जिससे वो बहुत प्यार करती है और वो भी एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम कर चुके है। हाल ही उन्हें एक ज़ी tv के serial में देखा जा रहा था जिसका नाम तेरी गालियां है।
जन्नत अपनी फैमिली से बहुत प्यार करती है उनका कहना है वो अपने लाइफ में सबसे ज्यादा अपने माता पिता से inspire है। जन्नत के पिता का नाम जुबैर रहमानी और माता का नाम नाजनीन रहमानी है। जन्नत के परिवार में उनका एक छोटा भाई भी है, जिसका नाम अयान जुबैर है, जिससे वो बहुत प्यार करती है और वो भी एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम कर चुके है। हाल ही उन्हें एक ज़ी tv के serial में देखा जा रहा था जिसका नाम तेरी गालियां है। जन्नत अपनी फैमिली से बहुत प्यार करती है उनका कहना है वो अपने लाइफ में सबसे ज्यादा अपने माता पिता से inspire है। जन्नत के पिता का नाम जुबैर रहमानी और माता का नाम नाजनीन रहमानी है। जन्नत के परिवार में उनका एक छोटा भाई भी है, जिसका नाम अयान जुबैर है, जिससे वो बहुत प्यार करती है और वो भी एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम कर चुके है। हाल ही उन्हें एक ज़ी tv के serial में देखा जा रहा था जिसका नाम तेरी गालियां है।

आज के विचार:
हर भले आदमी की एक रेल होती है
जो माँ के घर की ओर जाती है
सीटी बजाती हुई
धुआँ उड़ाती हुई।

~ आलोक धन्वा
क़िताबें आदमी को यह बताने के काम आती हैं कि उसके मूल विचार आख़िरकार इतने नये भी नहीं हैं।

~ अब्राहम लिंकन
और कहने के लिए शब्द बाक़ी नहीं हैं
हमने जो कुछ छोड़ा है सब बम हैं
जो हमारे सरों पर फट जाते हैं
हमने जो कुछ छोड़ा है सब बम हैं
जो हमारे ख़ून की आख़िरी बूँद तक सोख लेते हैं
जो कुछ छोड़ा है सब बम हैं
जो मृतकों की खोपड़ियाँ चमकाया करते हैं

लेखक: हेराल्ड पिंटर
अनुवाद : व्योमेश शुक्ल

यह मिथकों के टूटने का समय है
विचार, विचारों को प्रदूषित कर रहे हैं
नगर, नगरों को प्रदूषित कर रहे हैं
और नदियाँ,
नदियों को

बाज़ार में जितनी हया बची है
जितना बचा है आँख में पानी
बस उतनी ही बची है
बनारस में गंगा
उतना ही बचा है बनारस में बनारस

~ निलय उपाध्याय
कविता 'बनारस' का अंश
मैंने बातूनियों से शांत रहना सीखा है, असहिष्‍णु व्‍यक्तियों से सहनशीलता सीखी है, निर्दयी व्‍यक्तियों से दयालुता सीखी है लेकिन फिर भी कितना अजीब है कि मैं उन शिक्षकों का आभारी नहीं हूँ।

~ खलील जिब्रान

2 comments:

  1. Love your writing skill. Thanks for sharing this wonderful post.

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  2. Thanks for Sharing a Nice StoryiBOMMA

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